शुक्रवार, १६ ऑक्टोबर, २०१५

रेखा

रेखा एक लकीर है 
रेखा एक मर्यादा है 
रेखा एक तहजीब है 
रेखा एक इशारा है 

रेखा फूटते हुए सागर का अचल किनारा है 
रेखा ढलते हुए शाम की ओजस चेता है 
रेखा किसीको रोक सकती है 
लेकिन अपने आप मैं समेट नहीं सकती है 
क्यूंकि रेखा तो द्विमितीय होती है 
अपनी भावनाओंकी गहराई नाप नहीं सकती है 
दो बिन्दुओंको जोड़ तो सकती है 
लेकिन अपने आप में एक आकार नहीं बन सकती है 

रेखा रक भ्रम है 
रेखा एक व्यथा है 
रेखा एक सम्भ्रम है 
रेखा एक वेदना है 

रेखा दिल को छेदनेवाला तीर है 
रेखा सरगम छेडनेवाली तार है 
रेखा की मर्यादा को कोई सीमा नही है 
रेखा दो बिन्दुओंके बीचकी शोकान्त कहानी है 
क्यूंकि रेखा तो द्विमितिय है 
भावनोंकी की गहराई छुपा नहीं सकती है 
अंत:हीनताका श्राप लिए ढूंढ रही है
पूर्ण बनानेवाली वो तीसरी मिति कहाँ है 




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